How to use android smartphone as a tracking device in hindi ?
Use android smartphone as a tracking device
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको बतायेंगे की आप किस तरह अपने एंड्राइड फ़ोन को ट्रैकिंग device बना सकते है |
आजकल के समय में एंड्राइड smartphone के कारण हमे कंप्यूटर की आवश्यकता कम पड़ती है | एंड्राइड smartphone हमारी अनेक प्रकार से सहायता करता है जैसे की :- रास्ता खोजने में , किस जगह के बारे में पता लगाने के लिए आदि |
और कभी कभी ऐसा होता है की हमारा एंड्राइड smartphone कही खो जाता है | तो हम आसनी से अपने एंड्राइड फ़ोन को पा सकते है | एंड्राइड smartphone में android device manager की सहायता से हम अपने खोये हुए होने का तुरंत पता लगा सकते है |
यदि आपका एंड्राइड मोबाइल कही खो गया है तो आप इस पोस्ट What is android device manager and how to use android device manager in hindi ?को पढ़ कर जरूर प्राप्त कर लेंगे |
एंड्राइड smartphone में एक ऐसी सुविधा होती है | जिससे की हमारे मोबाइल की पूर्ण जानकारी google के द्वारा पता चल जाती है | मगर सबसे जरुरी बात एंड्राइड smartphone को हमारे google अकाउंट से जुड़ा होना अत्यधिक जरुरी है |
आपको पता होगा की आपके एंड्राइड फ़ोन में GPS नाम का एक feature होता है | जिसकी वजह से आप आसानी से किसी भी जगह के बारे में जान सकते है |
इसलिए आज हम आपको इस पोस्ट में GPS के बारे में पूर्ण जानकारी बतायेंगे | GPS के द्वारा आप अपने एंड्राइड smartphone को Tracking device बना सकते है |
WHAT IS GPS ?
GPS – Global Positioning System , एक Satellite आधारित Navigation System है |
जो Location और समय जैसी सूचना बताता है।
यह System United States के Department of Defence की ओर से बनाया गया था जो कि 24 और 32 मिडियम अर्थ orbit satellite के Microweight की बिलकुल सही जानकारी के काम आता है।
GPS को सबसे पहले केवल military applications के उपयोग के लिए बनाया गया था लेकिन 1983 मे US government ने system को public use के लिए open करने का ऐलान कर दिया व 1994 मे public के लिए open कर दिया |
GPS location और समय के साथ ही किसी भी जगह का पूरे दिन का मौसम भी बताने के काम आता है।
जो Location और समय जैसी सूचना बताता है।
यह System United States के Department of Defence की ओर से बनाया गया था जो कि 24 और 32 मिडियम अर्थ orbit satellite के Microweight की बिलकुल सही जानकारी के काम आता है।
GPS को सबसे पहले केवल military applications के उपयोग के लिए बनाया गया था लेकिन 1983 मे US government ने system को public use के लिए open करने का ऐलान कर दिया व 1994 मे public के लिए open कर दिया |
GPS location और समय के साथ ही किसी भी जगह का पूरे दिन का मौसम भी बताने के काम आता है।
आजकल इस टेक्नोलॉजी का उपयोग स्मार्टफ़ोन में अनिवार्य हो गया है |
जिसके द्वारा आप अपनी Location पता कर सकते है |
यह System Aircraft,train और bus जैसी Transport services में बहुत ही उपयोगी साबित हुई है |
GPS के द्वारा Distance के साथ साथ ऊँचाई भी Accurate तरीके से जान सकते है |
जिसके द्वारा आप अपनी Location पता कर सकते है |
यह System Aircraft,train और bus जैसी Transport services में बहुत ही उपयोगी साबित हुई है |
GPS के द्वारा Distance के साथ साथ ऊँचाई भी Accurate तरीके से जान सकते है |
और यदि आप किसी unknown number के बारे में पूरी जानना चाहते है तो इस पोस्ट How to Trace Name,Address,Location of Unknown Mobile No.? को जरूर पढ़े |
एंड्राइड फ़ोन में GPS के सहायता से आप यह पता लगा सकते है की आप किस जगह है और जगह का नाम क्या है | GPS आपकी जगह का पता तुरंत लगा लेता है | इसलिए GPS एंड्राइड smartphone के लिए ट्रैकिंग device के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है |
GPS कार्य कैसे करता है ?
GPS receiver के साथ काम करता है जो Satellite से मिले डाटा को count करता है।
Count को Triangulation कहते हैं जहां position कम से कम एक बार में तीन satellite की मदद से पता की जाती है।
Position Longitude और Latitude से दिखाई जाती है।
यह 10 से 100 मीटर की Range में सही होती है। इसे ही अलग application और Software अपने हिसाब से काम में ले लेते हैं।
जैसे कि किसी User को एक जगह की Direction बताना |
Count को Triangulation कहते हैं जहां position कम से कम एक बार में तीन satellite की मदद से पता की जाती है।
Position Longitude और Latitude से दिखाई जाती है।
यह 10 से 100 मीटर की Range में सही होती है। इसे ही अलग application और Software अपने हिसाब से काम में ले लेते हैं।
जैसे कि किसी User को एक जगह की Direction बताना |
कम से कम तीन Satellite के साथ एक GPS Receiver की 2D( Longitude और latitude) position पता की जाती है।
3D (जिसमें ऊंचाई शामिल है) position पता करने के लिए कम से कम चार Satellite का सहारा लेना पड़ता है।
एक बार जब इन सभी का पता चल जाता है और GPS Receiver Satellite से Sink हो जाता है
अन्य जानकारियां जैसे कि गति, दूरी और किसी जगह पर पहुंचने में लगने वाला समय की भी मुमकिन Count कर ली जाती है।
3D (जिसमें ऊंचाई शामिल है) position पता करने के लिए कम से कम चार Satellite का सहारा लेना पड़ता है।
एक बार जब इन सभी का पता चल जाता है और GPS Receiver Satellite से Sink हो जाता है
अन्य जानकारियां जैसे कि गति, दूरी और किसी जगह पर पहुंचने में लगने वाला समय की भी मुमकिन Count कर ली जाती है।
GPS satellite से कार्य करता है |
जिसके लिए अमेरिका ने 50 से भी ज्यादा satellite प्रारंभ किये है |वो satellite 24 hour पृथ्वी को signal भेजते रहते है |
उन signal को receive करने के लिए GPS receiver की आवश्यकता होती है |
GPS Receiver अपनी जगह का Guess पृथ्वी के ऊपर चक्कर लगाने वाले GPS satellite के समूह के द्वारा भेजे जाने वाले signals के आधार पर करता है |
हर एक satellite 24 घंटे GPS के signal भेजता रहता है |
Receivers उन signals का समय और उस satellite का distance भी receive करते है |
मतलब ये की Receivers कई सारी जानकारी receive करते है |
Receiver अच्छे परिणाम के लिए 4 satellite का उपयोग कराते है |
जिससे की GPS को इस्तेमाल करने वाले की जगह का पता चल सके |
एक बार GPS system को GPS device का location पता चलने के बाद वो device की दूसरी जानकारी find करता है |
Receiver अच्छे परिणाम के लिए 4 satellite का उपयोग कराते है |
जिससे की GPS को इस्तेमाल करने वाले की जगह का पता चल सके |
एक बार GPS system को GPS device का location पता चलने के बाद वो device की दूसरी जानकारी find करता है |
Types of GPS:-
1.Hot Start gas -
GPS को अपनी अंतिम position और satellite के साथ ही UTC टाइम पता है तो यह उसी satellite की मदद लेता है और उपलब्ध जानकारी के हिसाब से नई position का पता लगाता है।यह कार्यप्रणाली आपकी position पर भी निर्भर करती है।
अगर GPS receiver पहले वाली location के आसपास ही है तो Tracking बहुत जल्दी हो जाती है।
2.Warm Start gas -
इसमें GPS receiver पहले वाली GPS सैटेलाइट के अलावा पूरानी जानकारी याद रखता है।इस प्रकार receiver सारा Data reset कर देता है और नई position पता करने के लिए Satellite Signal का इस्तेमाल करता है।
हालाकि यह Satellite ढूंढता है लेकिन Satellite की जानकारी इसे जल्दी ही मिल जाती है। यह Hot Start से धीमा है लेकिन सबसे धीमा भी नहीं है।
3.Cold Start gas -
इस स्थिति में कोई भी जानकारी नहीं होती है इसलिए डिवाइस सभी तरह की जानकारी जैसे GPS satellite, position आदि पता करना शुरु करता है।इसलिए इसमें इसे position पता करने में बहुत समय लगता है।
4.A-GPS -
A-GPS का इस्तेमाल GPS आधारित positioning system के शुरु होने वाले समय को कम करने के लिए किया जाता है।जब सिग्नल कमजोर होता है तो A-GPS लाॅक करने में receiver की सहायता करता है।
मोबाइल फोन में एक नेटवर्क कनेक्शन की भी जरुरत होती है क्योंकि A-GPS Assistant server का इस्तेमाल करता है।
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What is google street view and how to use it?
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5. S -GPS -
एक Network Carrier के लिए satellite आधारित Reporting को सुधारने के लिए यह तरीका अपनाया जाता है।S-GPS से ही मोबाइल फोन को GPS और Voice Data दोनों एक ही समय पर मिलते हैं।
इससे ही Network Provider Location आधारित Services दे पाते हैं।
इस तरह आप एंड्राइड फ़ोन को ट्रैकिंग device बना सकते है |
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